Thursday, February 28, 2008

नींद में चोर


चोर सोचता रहा, आख़िर वह चोर कैसे बन गया? वह चोर तो बनना नहीं चाहता था. वह चाहता था कि वह भी पढ़-लिखकर बाबू बने. उनके माता-पिता कह सकें कि मेरे बेटे ने ख़ानदान का नाम रोशन किया है. चोर दिनभर सोचता रहा और समझ नहीं पाया कि आख़िर वह चोर कैसे बन गया.

सोचते-सोचते उसे नींद आ गई. नींद में उसने देखा कि एक लड़का उसके घर से रोटी चुरा रहा है. उसने नींद में उसे फ़ौरन पकड़ लिया.

उसने ज़ोरों से चिल्लाकर कहा,‘‘चोरी करते तुम्हें शर्म नहीं आती.’’ जब नींद टूटी तो उसने देखा कि वह अपना ही हाथ पकड़े हुए है.

चोर की सुहागरात

चोर की एक दिन शादी हो गई, पर लड़की वालों को पता नहीं था कि दूल्हा चोर है. दरअसल चोर के घरवालों को भी मालूम नहीं था कि उनका बेटा चोर है.

सुहागरात के दिन चोर जब अपनी पत्नी से मिला तो उसने यह नहीं बताया कि वह चोर है. रात में जब वह सोने लगा तो उसके मन में यह द्वंद्व उठने लगा कि क्या वह अपनी पत्नी को यह राज़ बताए कि वह चोर है? अगर आज वह यह राज़ नहीं बताता है तो एक दिन पत्नी को जब यह राज़ पता चलेगा तो उसे गहरा धक्का लगेगा. चोर इसी उधेड़बुन में था. वह करवटें बदलता रहा. पत्नी समझ नहीं पाई कि आख़िर चोर वह सब क्यों नहीं कर रहा है जो सुहागरात में उसे करना चाहिए. वह सकुचा रही थी. उसने पति से पूछा,‘‘लगता है आप मुझसे कुछ छिपा रहे हैं. कहिए ना क्या बात है? अब तो हमें ज़िंदगी भर साथ निभाना है, इसलिए एक-दूसरे पर विश्वास करना चाहिए और मन की बातें बतानी चाहिए.’’

तब चोर ने हिम्मत जुटाई. वह बोला,‘‘जानती हो मैं क्या काम करता हूँ. मैं एक चोर हूँ. चोरी कर घर-बार चलाता हूँ.’’ यह सुनकर उसकी पत्नी रोने लगी. चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी. उसके रोने की आवाज़ जब कमरे के बाहर सुनाई पड़ी तो घरवालों के कान खड़े हो गए. वे सोचने लगे कि आख़िर बात क्या है? क्या कुछ ऐसी-वैसी बात हो गई या दुल्हन को अपने घर की याद आ रही है? चोर अपनी पत्नी को बहुत देर तक मनाता रहा. उसने कहा,‘‘आख़िर तुमने ही कहा था कि मन में कोई बात नहीं छिपानी चाहिए. इसलिए मैंने तुम्हें सच-सच बता दिया.’’

चोर की पत्नी को चोर पर प्यार आ गया. उसने मन ही मन कहा,‘‘पति चोर है तो क्या हुआ, सच तो बोलता है. मुझ पर विश्वास तो करता है.’’ इसके बाद पत्नी ने चोर को चूम लिया. चोर को आज तक याद है अपनी सुहागरात. वह भूला नहीं है. जब भी उसे उसकी पत्नी चूमती है, उसे अपनी सुहागरात की याद आ जाती है.

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