Sunday, January 6, 2008

अगले ही कदम पे खाईयां हैं

अगले ही कदम पे खाईयां हैं
बहुत अभिशप्त ये ऊँचाईयां हैं
यहाँ है शुरू सीमा शहर कि
यहाँ से हम सफर तन्हाईयां हैं
किसे जाकर नमन दें मंदिरों में
हमारी ही वहाँ परछाईयां हैं

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