Sunday, January 6, 2008

राह पकड़ तू एक


मदिरालय जाने को घर से
चलता है पीने वाला
किस पथ से जाऊं
विचलित है वह भोला-भाला
अलग-अलग पथ बतलाते सब
पर मैं यह बतलाता हूँ
राह पकड़ तू एक, चला-चल
पा जाएगा मधुशाला

- हरिवंश राय बच्चन