Sunday, January 6, 2008

विद्यार्थी हृयष्ट वर्जयेत

कामं क्रोधं तथा लोभं स्वादं श्रृंगार कौतुके |
अतिनिन्द्राSतिसेवा च विद्यार्थी हृयष्ट वर्जयेत ||

विद्यार्थी को काम-विषय-चिंतन, क्रोध(अभीष्ट प्राप्त न होने पर आपे से बाहर होना), लोभ(धन प्राप्ति की तृष्णा), स्वाद, श्रृंगार, कौतुक(अत्यधिक खेल-तमासे, सिनेमा, दूरदर्शन आदि), अतिनिन्द्रा और अतिसेवा - इन सभी का त्याग कर देना चाहिए|