भारत और रूस के संयुक्त प्रयासों से अम्कलेश्वर में तेल के कुंए खोदे गए। उनमें से तेल निकला तो पंडित नेहरू बडे प्रसन्न हुए। वे अम्कलेश्वर तेल के कुंए देखने पहुंचे, निरीक्षण के दौरान अचानक तेल के कुछ छींटे उनकी अचकन पर जा गिरे। सारे इंजीनियर और दूसरे अधिकारी परेशान हो गए और उन्होंने नेहरू जी से अनुरोध किया कि वे अपनी अचकन बदल लें।
नेहरू जी यह बात सुन कर बोले, वाह, यह कैसे हो सकता है। यह तो मेरे लिये गौरव की बात है। मैं तो इसी अचकन को पहन कर संसद में जाउंगा और वहा/ सभी को दिखाउंगा कि ये धब्बे अपने देश में निकाले गए तेल के हैं।
Thursday, January 10, 2008
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