भामा ह्राद्रिनी-तरंग, तडिन्माला है,
यह नहीं काम की लता, वीर बाला है,
आधी हालाहल धार, अर्ध हाला है,
जब भी उठती हुंकार युद्ध-ज्वाला है,
चण्डिका कान्त को मुण्ड-माल देती है;
रथ के चक्के में भुजा डाल देती है
- दिनकर
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