Saturday, January 5, 2008

त्रिया-पुरुष

खोजता पुरूष सौंदर्य, त्रिया प्रतिभा को,
नारी चरित्र बल को, नर मात्र त्वचा को
श्री नहीं पाणि जिसके सिर पर धरती है,
भामिनी हृदय से उसे नहीं वरती है
पाओ रमणी का हृदय विजय अपनाकर
या बसों वहाँ बन कसक वीर गति पाकर

- दिनकर