Friday, February 29, 2008

अमीर चोर

चोर अमीर होते हैं, ग़रीब होते हैं. सफल होते हैं, असफल होते हैं. कई चोर ज़िंदगी भर कपड़े, बर्तन, साइकिल आदि चुराते रहते हैं. उनमें महत्वाकांक्षा कम होती है. अमीर चोर महत्वाकांक्षी होते हैं. वे नई-नई योजनाएँ बनाते रहते हैं. वे विश्च बैंक से मिलकर देश को लूटने के ख़ाके तैयार करते हैं. उनकी चोरी ‘क्लास’ ही अलग है. वे चोर दिखते भी नहीं. वे बहुत संभ्रांत होते हैं. उन्हें चोर कहकर उनकी तौहीन नहीं की जा सकती. वे सभा-सोसाइटियों के लोग हैं. यही कारण है कि अमीर चोर ग़रीब चोरों को हेय दृष्टि से देखते हैं. वे उसे अपना मौसेरा भाई तो क्या, दूर के रिश्ते का भी कोई भाई नहीं मानते. इसलिए कई बार ग़रीब चोर भी अमीर चोरों के घर इतनी सफ़ाई से सेंध लगाते हैं कि उन्हें पता ही नहीं चलता और माल साफ़ हो जाता है. ग़रीब चोर इतना ज़रूर जता देते हैं कि वे सत्ता विमर्श में भले ही पीछे हों, पर उनकी कल्पनाशीलता और रचनात्मकता का कोई जवाब नहीं है.

1 comment:

Jiten Yadav said...

Hi Vipra aap ko choro ke baare me bhut knowlage hai. Aur aapney bhut acha likha hai choro ke baare me yeh aap ka thoritical exp hai ya partical