मत टिको मदिर, मधुमायी शान्त छाया में,
भूलो मत उज्जवल, ध्येय मोह-माया में
लौलुप्या-लालसा जहाँ, वही पर क्षय है;
आनंद नहीं, जीवन का लक्ष्य विजय है
ज्रिम्भाक, रहस्य-धूमिल मत ऋचा रचो रे !
सर्पित प्रसून के मद से बचो-बचो रे !
- दिनकर
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