Sunday, January 6, 2008

मानव जीवन सीमित है

अनंतशास्त्रं बहुलाश्च विद्याः अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च |
यत्सारभूत तादुपसनीयम्, हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात ||


मानव जीवन सीमित है और कार्यों कि संख्या अधिक (असीमित), ज्ञान अनंत है और आयु अल्प, इसलिए व्यक्ति सभी कुछ सीखने-जानने के चक्कर में पड़ेगा तो उलझ जायेगा |