अनंतशास्त्रं बहुलाश्च विद्याः अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च |
यत्सारभूत तादुपसनीयम्, हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात ||
मानव जीवन सीमित है और कार्यों कि संख्या अधिक (असीमित), ज्ञान अनंत है और आयु अल्प, इसलिए व्यक्ति सभी कुछ सीखने-जानने के चक्कर में पड़ेगा तो उलझ जायेगा |
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
ये Website ( www.VaidikSangrah.com ) संग्रह है आरती, मंत्र और श्लोकों का-
वैदिक संग्रह
देवी देवताओं के 108 नाम
चालीसा संग्रह
मंत्र संग्रह
स्तोत्र संग्रह
श्री गणेश संकटनाशन स्तोत्रम्
लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम्
श्री सुर्याष्टकम
शत्रु-विनाशक आदित्य-हृदय स्तोत्र
श्री सूक्त
लक्ष्मी जी की आरती
नटराज स्तुति
अच्युतस्याष्टकं
शिवताण्डवस्तोत्रम्
बाकी और जानने के लिए वेबसाइट पर एक बार अवश्य आयें।
Post a Comment